कैसे जाते है वो लोग दूसरो के साए के पीछे
मुझे अपनी परछाई से भी डर लगता है
जब मुक़द्दर मे ही अंधेरा हो तो
खुद की तन्हाई मे ही सुकून मिलता है
उस अंधेरे को अपना मुक़द्दर मत बनाओ
रोशनी की एक किरण काफ़ी है उसे हटाने के लिए
जो रोशनी मे खड़े हो
वो जानते ही नही अंधेरो की कीमत
अंधेरे की कीमत जानकार क्या करोगे
मोहब्बत की नीव अक़्स्र वही तोड़ी जाती है
मोहब्बत मे अक़्स्र अच्छे अच्छे लोग लूट जातें
उनके लूटने की खबर है आपको
जो उनको मिलता है वो उमर भर नही लुटता
मोहब्बत मे सिर्फ़ धोखे ही मिलते है
जिसे कोई नही लूट सकता
धोखे सिर्फ़ उनको मिलते है जिनकी किस्मत मे होते है
जिसे कोई नही बदल सकता
खामोशियो मे सिसकिया लेने से अच्छा है
जी भर के रोलो
तुम्हारी आखों से झाकता
एक मोती नज़र आता है
क्यू दर्द देती हो अपने आप को इस क़दर
क्या तुमको मुझपे तरस नही आता है
जिसकी क़िस्मत ही खराब हो
उसे खुद पर भी तरस नहीं आता है।
मत खा अपने पे तरस बस मेरे हवाले कर खुद को
ये जहाँ भी तेरे दीदार को तरसेगा
वो जानेगा उसने क्या खोया है
तेरे साथ बीते हर लम्हात को तरसेगा
वो तरसेगा हर पल तुझे याद करके
वो सपनो मे भी तेरे एहसास को तरसेगा
क्या उसके तरसने या तड़पने से मे फिर जी पाऊँगी
या सिर्फ़ मे भी तड़पति रह जाऊँगी
तेरे तड़फ़ने का दर्द है मुझको
क्या खुद को भी जला दूं
मैं अधूरा हूँ मुझे मुक्कमल तो कर
आ तेरा दर्द अपना बना लूँ
यूँ हाथ रोक लेने को क्या समझू
यूँ साँस रोक लेने को क्या समझू
मैं हूँ नही तेरी यादो मे तेरी आँखों मे
दिल की बात रोक लेने को क्या समझू
इश्क़ से कोई मुकम्मल नही होता
क्या तुझे नही पता "इश्क़" खुद मुकम्मल नही होता
इश्क़ को मुकम्मल वो क्या बनाएँगे
जो एक दूसरे मे जल जाएँगे
हो जाएँगे राख
बस एक खुली किताब को पूरा करने के लिए छोड़ जाएँगे
ज़िंदगी मे ठहराव भी ज़रूरी है
अक्सर रिश्ते और लोग इश्क़ करते करते थक जाया करते है
थक जाउ अगर ले चल अपने साथ हॉंसला तो दे
ऐसा साथी मेरे खुदा मेरे दुश्मन को भी दे
एक दूसरे मे जलना ही तो इश्क़ है
लैला मजनू भी तो गुज़रा हुआ एक वक़्त हैं
वो वक़्त गुजर गया है चल एक नया इतिहास बनाते है
लैला मजनू को भी भूल जाए ये जहाँ ऐसा इश्क़ रचाते है
थकना संभलना फिर गिर के उठना
ये भी तो इश्क़ है
इश्क़ की परिभाषा तुम मुझे क्या सिख़ाओगे
जब कर बैठोगे इश्क़ मुझसे तुम भी भूल जाओगे
इश्क़ मे सबकुछ हारना शुरुआत है
एक मुकम्मल मोहब्बत की
मेरे पास हारने के लिए कुछ भी नही तेरे सिवा
और तुझे खोके मिले चाहे जन्नत मैं उसे भी .ठुकरा दूं
कौन कहता है के दूरी से मिट जाती है मौहब्बत
मिलने वाले तो ख्यालों मे भी मिला करते हैं!
जो मिलते है बस ख़यालो मे उनके ख़यालात नही मिलते
वरना आज ज़मीन पे लाँखो चाँद होते
लेकिन अब छोड़ दिया है “इश्क़” का “स्कूल” हमने भी
हमसे अब “मोहब्बत” की “फीस” अदा नही होगी
इश्क़ गर सीखा था स्कूल मे तुमने
हमे भी थोड़ा सिखलाओ ना
फीस तुम्हारी मैं दूँगा
थोड़ा हमलो इल्म कराओ ना
चांद तारे तो बस आसमानों पर बसते हैं
इस ज़मीन पर तो बस हम जैसे इंसान तड़पते हैं।
चाँद की तड़पन को तुम क्या जानो
उसके अपनो ने भी उसको दिल से
निकल फेंका है आसमान मे
वरना वो भी इसी जहाँ का पासिन्दा था
इश्क़ अगर हो गया तो कोई दुआ ताबीज़ काम ना आयेगा
इससे अच्छा है होश में अभी आजाओ ना
होश मेरा तभी खोदिया था मैने जब पहली दफ़ा तुमको देखा था
अब तो सिर्फ़ तुझमे खोंजाने का मन करता है
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