तेरे मिलने पर जैसे त्योहार होते थे
जब भी मिलते थे हम हर बार होते थे
तुम तो साथ हो मगर, वो सादगी का साथ कहाँ
जो होती थी पहले, अब वो बात कहाँ
जबीं चूम के निकलता था दिन, आरिज़ चूम के शाम होती थी
चलती थी जो सीने मे मेरे हर एक साँस तेरे नाम होती थी
तेरी आँखों मे था जो नशा, वो शराब के साथ कहाँ
जो होती थी पहले, अब वो बात कहाँ
अगर मेरी ज़िंदगी मे हो खुशियाँ तू रखले
जख्म रहने दे मेरे, मरहम तू रखले
गिनते थे साथ मे तारे अब वो रात कहाँ
जो होती थी पहले, अब वो बात कहाँ
बदले हो तुम, पर मैं अंदर से टूटा हुँ
कुछ भी नही है साथ, मैं खुद से ही छूटा हुँ
जो थाम लेते थे मेरे हाथ को, अब वो हाथ कहाँ
जो होती थी पहले, अब वो बात कहाँ
मेरे अश्कों का समंदर अब मुझको डुबोता है
सह नही पाता हूँ मैं जब दिल मे दर्द होता है
पोंछे जो कोई आँसू मेरे, अब वो हालत कहाँ
जो होती थी पहले, अब वो बात कहाँ
मेरे किए सवालो का जवाब ना मिला, तेरे दिए जख़्मो का हिसाब ना मिला
मुताला करते आए थे हम जिसका, आज देखो हमको वो निसाब ना मिला
जो भिगो देती थी आँगन मेरा, अब वो बरसात कहाँ
जो होती थी पहले, अब वो बात कहाँ
tEri aaNkHo m tHa jO NaSHa, vO SHaRaaB m kaHan ;)
ReplyDeletegiNtEy tHye SaatH m taaRey, aB vO RaaT kaHan?.. <3
mEre kiyE SavaaLo ka javaaB Na MiLa,, tEre DiyE jakHMo ka HiSaaB Na MiLa..
waaH CHeetEy! waaH! gRt Pottery poetry (y)
Thanks Buddy
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