ना मैं वाक़िफ़ हू लफ्ज़ मोहब्बत से ना ही इल्म मुझे इज़हार-ए-मोहब्बत का है मेरी आँखों को पढ़ना आता है तुम्हे बस एक शोंक पुराना इबादत का है तेरी आँखों में खो जौ मैं ये झील से भी गहरी हैं एक पल भी नही ठहरती वो मेरी आँखें तुझपे ही ठहरी हैं गर ये गुनाह है मेरा तो सुना तू ही फैंसला बिना किसी तारीख के पूरा कर जो काम एक बड़ी पंचायत का है मैं था सीधा सादा बंदा मगर तू भी सरल बहुत मैं देर कर देता था समझने मे और तुझमे समझ बहुत तू अभी भी कर लेती है हर काम मुझसे पूछे बिना मुझे इंतेज़ार आज भी तेरी इज़ाज़त का है तेरी मासूमियत लफ़्ज़ों में कहाँ बयाँ होती है इश्क़ भी वहीं पनपता है अक्षर जहाँ हयां होती है तुम ही मुझे वाकिफ़ कराती हो इस बदलती दुनिया से वरना रवि तो बस गुलाम पुरानी रिवायत का है मेरी ग़लतिया भी तुझे नादानी लगती है मेरी अटपटी बाते भी तुझे कहानी लगती है तू कर देती है हर भूल माफ़ मेरी मेरा हर एक कदम बस जैसे शिकायत का है मैं नींद से जागूं या फिर सोना चाहूं हर कीमत पर बस तेरा होना चाहूं कर ले अगर बस मे हैं तेरे ये सौदा बड़ा किफायत का है ना मैं वाक़िफ़ हू लफ्ज़ मोहब्बत से ना
Chidiya Jo udna chahati hai Wo Pankhon ko faila kar aasmaan ko chuna chahati hai Khoobiyan anek hai usme Usme se ek khoobi ye bhi hai wo bahut kam bolti hai Magar uski taarif me main jitna bolu wo kam hai Usme khamiya doondna jaise aaine me kamiya nikalna Use jhoot se aata hai gussa muskil hota hai khud ko sambhalna Ajanabi se ham Ajanabi sa sahar Ajanabi si baatcheet hui Main nahi janta ke kaise usse mulaqat hui din dhale bahut magar asap pahunche ham ek din jab raat hui Dilchasp sa libas pahana tha naqab tha uske chehere pr Ghungharale se baalo ko tha khola kaajal tha baithya pahare par Use meri baaton par yakin kam hi hota hai Kyoki har waqt meri baaton me gam hi hota hai Wo apni baaten itni safai se pesh karti hai Magar naa jaane kyu thodi si darti hai Main koshish karta hu use itna bta pau Khishi samne rakh uske har gam chupa pau Ittefakan bhi usko koi pareshani na ho Uske roz ke kaamo me chedkhani na ho Dekh dur se lu use paas jaane ka koi armaan nahi Parinda wo hu jo