मैं गलत था
सोचा था वो वक़्त के साथ सम्भल जायेंगे
मगर ये मालूम ना था इतने बदल जायेंगे
सारी दुनिया को दिखाकर एक पहलू
दुसरी और खुद ही फिसल जायेंगे
मैं गलत था ...
किताबो के पन्ने खाली थे
तुझे लिखा था मोहब्बत की स्याही से
अब जो सिमटकर बैठ गये थे रवि की धूप में
मालूम ना था वो मॉम से पिघल जायेंगे
मैं गलत था ...
बाहों में जो गर्मी वो महसूस कर रहे थे
सर्दियोँ की धूप से भी बचकर चलने लगे
छोड कर खुद की खुद्दारी
मालूम ना था फिर से मचल जायेंगे
मैं गलत था ...
to be continued....
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