मुझे छोड़ कर तुम जाओगे कहाँ
मैं हू तेरा मुझे पाओगे वहाँ
अगर यकीन नही था मुझ पर, एक बार कहा तो होता
मेरे दिल ने तेरा दिया वो दर्द ना सहा होता
सुकून देना चाहा था बस मैने दिल को तेरे
वरना अपना दिल देके तुझे, तेरा दिल लिया ना होता
नींदे थी मेरी पर सपने तेरे थे
तू करीब थी बस दिल के, दूर अपने मेरे थे
पा ना सका मैं प्यार तेरा क्या कमी थी मुझमे
जब होश मे थी दुनिया सारी, वो हालत मुझे घेरे थे
अब भी कोई रंजिस है तुझे तो शौक़ से पूरी कर
मैं सामने पाता हू तुम्हे तो दिल को लगता है डर
कहीं हो जाए कोई गुनाह ना मेरी नज़रो से
अपनी नज़रो को अब मेरे चहरे से दूर तो कर
सुबह भी होगी इस अंधेरी रात के बाद
कुछ भी याद नही मुझे उस मुलाक़ात के बाद
फिर तेरे रास्ते नही आऊगा मैं कभी
तनहा रहना अच्छा लगता है तेरे साथ के बाद
तुमसे सीखा है मैने वो अदब ज़िंदगी का
जान गया हू मैं होता क्या है सबख आशिकी का
सोचता हू उस वक़्त मैं तुमसे ना मिला होता
सबब ना ढूंड रा होता आज मैं तेरी बंदगी का
हो भी गये अगर रुखसत तुम मेरे दिलो दिमाग़ से
दिल होता है रोशन प्यार से, मगर जल जाता है आग से
अब दिल को जलाकर मेरे रह पाओगे कहाँ
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