बीत गया एक अर्शा मिले तुमसे
पर मेरे सपनो मे तू आ जाती है
मैं कभी भूल नही पाता तुमको
क्या तुमको भी मेरी याद आती है
सोचता हूँ तुम इतने नासमझ तो नही थे
जो मुझे बयान करना पड़े प्यार अपना
पर अगले ही पल मैं ठहर जाता हूँ यह सोचकर
तुम भी तो मान बैठे थे मुझे दिलदार अपना
मेरी बातों पे गर ऐतबार नही था तुम्हे
मेरी आँखों मे देख तो लिया होता
इनको भी खुद से ज़्यादा मोहब्बत थी तुमसे
इशारो मे इनसे पूछ लिया होता
मेरा दिल भी तो तेरे हक़ मे खड़ा है
इसको अभी भी तेरा इंतेज़ार होता है
जगड़ता है मुझसे ओर पूछ भी लेता है
मुझे चोट लगती है क्या तभी प्यार होता है
याद है जब मैं तुम्हे पहली बार देखा
तेरे बाद जैसे खुद को देखना भी गवारा था
साँसे भी नही चलती थी तेरी खुशबू के बिना
अपना सब कुछ मैने तुझपे ही तो वारा था
तेरी बाहें मानो मेरे लिए जन्नत जैसी थी
जहाँ भूल जाता था मैं हर दर्द और गम
तेरे जाने के बाद अब मेरा हाल कुछ ऐसा है
मुस्कुराना भुला हूँ और आँखें रहती है नम
अब ये दुनिया मेरे लिए एक भीड़ जैसी है
जहाँ मुझे कोई अपना नज़र नही आ रहा है
तू नही मिल पाई तो जैसे गमजदा हो गया हूँ
तेरी जगह किसी और को नही दे पा रा हूँ
मैने तो अपना हर लम्हा तेरे नाम किया था
नही समझ पाए तुम इसमे मेरा क्या कुसूर है
अब मैं वक़्त तो नही रोक सकता था तू ही बता
चलते रहना ही इस दुनिया का दस्तूर है
जब होती है मेरे अश्कों से बरसात
मेरी रूह तलक भीग जाती है
मैं कभी भूल नही पता तुमको
क्या तुमको भी मेरी याद आती है...क्या तुमको भी मेरी याद आती है
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