मेरे बेचैन दिल के मर्ज़ को, मुझे घेरे है जो उस दर्द को
बस तुमसे है जो उस अर्ज़ को, तुम नही समझ पाओगे
बस तुमसे है जो उस अर्ज़ को, तुम नही समझ पाओगे
मेरी चाहत की गहराई को, मेरे दिल की तन्हाई को
हर लम्हे की रुसवाई को, तुम नही समझ पाओगे
हर लम्हे की रुसवाई को, तुम नही समझ पाओगे
तेरे होने के एहसास को, इस दिल मे दबी उस प्यास को
जो तुझसे चले हर साँस को, तुम नही समझ पाओगे
जो तुझसे चले हर साँस को, तुम नही समझ पाओगे
ठुकराए हुए इस प्यार को, जो तुझसे मिली इस हार को
इस अंजाने तकरार को, तुम नही समझ पाओगे
इस अंजाने तकरार को, तुम नही समझ पाओगे
जो मुझपे हुएँ हर वार को, सीने पे चली तलवार को
मेरे खून से लिखे इस सार को, तुम नही समझ पाओगे
मेरे खून से लिखे इस सार को, तुम नही समझ पाओगे
मेरे दिल के हर उस कोने को, बस तेरा उसमे होने को
कुछ पाकर भी कुछखोने को, तुम नही समझ पाओगे
कुछ पाकर भी कुछखोने को, तुम नही समझ पाओगे
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