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Showing posts from February, 2021

मैं गलत था

 मैं गलत था  सोचा था वो वक़्त के साथ सम्भल जायेंगे  मगर ये मालूम ना था इतने बदल जायेंगे  सारी दुनिया को दिखाकर एक पहलू  दुसरी और खुद ही फिसल जायेंगे मैं गलत था ... किताबो के पन्ने खाली थे तुझे लिखा था मोहब्बत की स्याही से अब जो सिमटकर बैठ गये थे रवि की धूप में  मालूम ना था वो  मॉम से पिघल जायेंगे मैं गलत था ... बाहों में जो गर्मी वो महसूस कर रहे थे सर्दियोँ की धूप से भी बचकर चलने लगे  छोड कर खुद की खुद्दारी  मालूम ना था फिर से मचल जायेंगे  मैं गलत था ... to be continued....