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Showing posts from November, 2018

मेरी निंदिया...

ढूंड लिया हर दिशा मे मैने खोजा हर इक कोना है अब ना खेल ख़िलावे ज़िंदगी मोय जीवन एक खिलोना है कुछ स्पष्‍ट नही है मुझको, क्या पाना क्या खोना है कोई लौटादे मेरी निंदिया मुझको जी भर के अब सोना है पूरब से कुछ पंछी बोले पश्चिम से कुछ बादल भी चैन गया अब खो इस दिल का, बह गया नैनो का काजल भी मखमल का बिस्तर भी जैसे काटो से भरा बिछोना है कोई लौटादे मेरी निंदिया मुझको जी भर के अब सोना है फूलों से थोड़ी खुशबू लेलू पेड़ो से थोड़ी छाओ भी है गम का सहर तो भरा हुआ, सूना है प्यार का गांवों भी आँधियरे के इस आलम मे ख़ुसीयों का बीज भी बोना है कोई लौटादे मेरी निंदिया मुझको जी भर के अब सोना है रात से एक सौदा हुआ है मेरा तुम ही मुझे सुलाओगी खो गयी जो मेरी निंदिया भीड़ मे ढूंड उसे तुम लाओगी हर पल हर दिन हर क्षण मुझकोअपने सपनो को संजोना है कोई लौटादे मेरी निंदिया मुझको जी भर के अब सोना है ravimusicpoems.blogspot.com

तुम नही समझ पाओगे…

मेरे बेचैन दिल के मर्ज़ को, मुझे घेरे है जो उस दर्द को बस तुमसे है जो उस अर्ज़ को, तुम नही समझ पाओगे मेरी चाहत की गहराई को, मेरे दिल की तन्हाई को हर लम्हे की रुसवाई को, तुम नही समझ पाओगे तेरे होने के एहसास को, इस दिल मे दबी उस प्यास को जो तुझसे चले हर साँस को, तुम नही समझ पाओगे ठुकराए हुए इस प्यार को, जो तुझसे मिली इस हार को इस अंजाने तकरार को, तुम नही समझ पाओगे जो मुझपे हुएँ हर वार को, सीने पे चली तलवार को मेरे खून से लिखे इस सार को, तुम नही समझ पाओगे मेरे दिल के हर उस कोने को, बस तेरा उसमे होने को कुछ पाकर भी कुछखोने को, तुम नही समझ पाओगे ravimusicpoems.blogspot.com