ढूंड लिया हर दिशा मे मैने खोजा हर इक कोना है अब ना खेल ख़िलावे ज़िंदगी मोय जीवन एक खिलोना है कुछ स्पष्ट नही है मुझको, क्या पाना क्या खोना है कोई लौटादे मेरी निंदिया मुझको जी भर के अब सोना है पूरब से कुछ पंछी बोले पश्चिम से कुछ बादल भी चैन गया अब खो इस दिल का, बह गया नैनो का काजल भी मखमल का बिस्तर भी जैसे काटो से भरा बिछोना है कोई लौटादे मेरी निंदिया मुझको जी भर के अब सोना है फूलों से थोड़ी खुशबू लेलू पेड़ो से थोड़ी छाओ भी है गम का सहर तो भरा हुआ, सूना है प्यार का गांवों भी आँधियरे के इस आलम मे ख़ुसीयों का बीज भी बोना है कोई लौटादे मेरी निंदिया मुझको जी भर के अब सोना है रात से एक सौदा हुआ है मेरा तुम ही मुझे सुलाओगी खो गयी जो मेरी निंदिया भीड़ मे ढूंड उसे तुम लाओगी हर पल हर दिन हर क्षण मुझकोअपने सपनो को संजोना है कोई लौटादे मेरी निंदिया मुझको जी भर के अब सोना है ravimusicpoems.blogspot.com
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