जब होश मे थे हम तो वो होश उड़ा देते थे अब बेहोशी छाई है इस क़दर वो होश मे लाना चाहते है जुदा एक पल मे कर दिया जब उनके करीब थे हम अब अक्ष भी नही रहा हमारा तो वो दिल से लगाना चाहते है प्यासा था मैं, जब दर पे तेरे पलको को बिछाए बैठा था अब इन्तजार है उनको मेरा सावन बरसाना चाहते है जुदाई की तपन मे जलता रहा नज़र फेर के वो चले जाते थे अपनी ज़ुल्फ़ो की छाओ मे अब वो हमको बैठाना चाहते है आँखों मे सपने तेरे नाम के थे फिर नींद हमे कहाँ आती थी अब गोद मे रखकर सर अपनी वो हमको सुलाना चाहते है दिल को था घायल कर ड़ाला रूह पे भी जख्म मैने खाये थे आँखों मे जो रखते थे खंजर मरहम वो लगाना चाहते है जब होश मे थे हम तो वो होश उड़ा देते थे अब बेहोशी छाई है इस क़दर वो होश मे लाना चाहते है http://ravimusicpoems.blogspot.com/
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