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Showing posts from March, 2017

Badalta Waqt (बदलता वक़्त)

जब होश मे थे हम तो वो  होश उड़ा देते थे  अब बेहोशी छाई है इस क़दर  वो होश मे लाना चाहते है जुदा एक पल मे कर दिया  जब उनके करीब थे हम  अब अक्ष भी नही रहा हमारा  तो वो दिल से लगाना चाहते है प्यासा था मैं, जब दर पे तेरे  पलको को बिछाए बैठा था अब इन्तजार है उनको मेरा  सावन बरसाना चाहते है  जुदाई की तपन मे जलता रहा  नज़र फेर के वो चले जाते थे अपनी ज़ुल्फ़ो की छाओ मे अब वो हमको बैठाना चाहते है  आँखों मे सपने तेरे नाम के  थे  फिर नींद हमे कहाँ आती थी अब गोद मे रखकर सर अपनी वो हमको सुलाना चाहते है दिल को था घायल कर ड़ाला  रूह पे भी जख्म मैने खाये थे आँखों मे जो रखते थे खंजर  मरहम वो लगाना चाहते है जब होश मे थे हम तो वो  होश उड़ा देते थे  अब बेहोशी छाई है इस क़दर  वो होश मे लाना चाहते है http://ravimusicpoems.blogspot.com/

गम की राह

क्यू मेरा दिल मेरे लिए  गम की ही राह चुनता है कैसे इसे रोक लूँ मैं कैसे इसे मैं समझाऊ पूरे कभी होंगे ना जो  सपने वो ऐसे बुनता है  क्यू मेरा दिल मेरे लिए  गम की ही राह चुनता है इसको मनालू क्या दूं होसला ज़िद पे अड़ा है, ये है मनचला   तू ही खुदा इसे समझादे  मेरी ये एक ना सुनता है क्यू मेरा दिल मेरे लिए  गम की ही राह चुनता है बादल के जैसे उड़ने लगा है  मुश्किल से जाके जुड़ने लगा है दस्तूर-ए-दुनियाँ का इसको पता है  अनजान फिर क्यों ये बनता है  क्यू मेरा दिल मेरे लिए  गम की ही राह चुनता है थोड़ा है पागल थोड़ा शयाना आसान नही है इसको मानाना नहीं था जो इसका पाने की चाह मे  गिरता कभी ये संभलता है क्यू मेरा दिल मेरे लिए  गम की ही राह चुनता है पूरे कभी होंगे ना जो  सपने वो ऐसे बुनता है  क्यू मेरा दिल मेरे लिए  गम की ही राह चुनता है http://ravimusicpoems.blogspot.com/