आपकी अदाए मुक्तलिफ है जैसे औरो से क्या जाने आप हम गुजर आए है किन दौरो से दीदार ना हो तो धड़कन ठहर जाती है रु-ब-रु होते हो तुम तो दिल धड़कता है जोरो से सुबह को सुबह नही होती ना अब शाम को शाम होती है तेरे बिना मेरी हर एक पहर जैसे गुमनाम होती है छोड़ कर चल दिए तुम आधे रास्ते मुझे मेरी मोहब्बत बस सारे आम बदनाम होती है मेरी तन्हाई ही मेरा शिकार कर रही है मौका मिला जो अब इसे हर बार कर रही है मेरी पलको मे जैसे सूनामी सी आई है जो चीर कर दिल को मेरे जरोज़ार कर रही है कम्बख़त था दिल के मानता ना था शायद ये तेरे बारे मे जनता ना था हर वक़्त बस पुकारता था नाम तेरा तब ये मुझे भी पहचानता ना था अब जब इसकी जान पे बन आई है कहता है दिल लगाने से अच्छी तो तन्हाई है मेरे बारे मे मत सोच तू बस इतना करम कर इसकी भी सुन एक बार जो तुझे अपना खुदा मानता था छुप गया है एक कोने मे जो उड़ता था परिंदे के तरह तूने नौच डाले है पंख इसके दरिंदे की तरह इसको तो मालूम भी नही था अंजाम-ए-इश्क़ क्या होगा रहना चाहता था
Follow your heart But take your Brain with you...